17 मई को हुई कैबिनेट की बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से लाए गए प्रस्ताव पर कई मुद्दों पर चर्चा हुई जिसमें मदरसों को लेकर भी कुछ फैसले लिए गए। उत्तर प्रदेश (UP) सरकार अब वर्ष 2003 तक के आलिया स्तर की स्थाई मान्यता प्राप्त मदरसों को अनुदान नहीं देगी। यह निर्णय भी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से लाए गए प्रस्ताव पर लिया गया।
प्रदेश सरकार ने यह निर्णय प्रदेश की पिछली समाजवादी सरकार के कार्यकाल में हुए फैसले को पलटते हुए लिया है। सपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2003 तक की मान्यता प्राप्त 146 मदरसों को अनुदान सूची पर लिए जाने का निर्णय हुआ था। उसके बाद 100 मदरसे अनुदान सूची पर ले भी लिए गए थे। बाकी बचे 46 मदरसों को अनुदान सूची पर लेने से पहले ही सरकार में अर्न्तकलह शुरू हो गई थी, उसके बाद यह 46 मदरसे अनुदान पर नहीं लिए जा सके। इनमें से कुछ मदरसों ने अदालत की शरण ले ली। इस वक्त प्रदेश के कुल 560 मदरसों को सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। अनुदान के तहत इन मदरसों के शिक्षकों, कर्मियों का भुगतान किया जाता है।
कैबिनेट ने औद्योगिक विकास विभाग से संबंधित दो प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। इसके तहत गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे परियोजना के पैकेज-1 एवं 2 के निर्माणकर्ताओं को शिड्यूल एच में दी गई राहत को 31 अक्तूबर 2022 तक बढ़ाने का प्रावधान है। इसी तरह बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के विकासकर्ताओं को 31 अक्तूबर 2022 तक के लिए राहत दी गई है। साथ ही UP Board 2021 के परीक्षाफल निर्धारण की प्रक्रिया को CM Yogi Adityanath की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मंगलवार को अनुमति दी गई।
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