
हर माह में दो बार प्रदोष व्रत(Pradosh Vrat) पड़ता है। इस वक़्त ज्येष्ठ माह का कृष्ण पक्ष चल रहा है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। साल में कुल 24 Pradosh Vrat पड़ते हैं। Pradosh Vrat भगवान शंकर को समर्पित होता है। Pradosh Vrat पर विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
हिंदू धर्म में Pradosh Vrat का बहुत अधिक महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि पर Pradosh Vrat रखा जाता है। Pradosh Vrat में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के Pradosh Vrat का अपना विशेष महत्व होता है। ज्येष्ठ माह का पहला Pradosh Vrat कल है।
जानें, मुहूर्त
- ज्येष्ठ, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ – 11:47 AM, मई 27
- ज्येष्ठ, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त – 01:09 PM, मई 28
- प्रदोष काल – 07:12 PM से 09:14 PM
जानें, प्रदोष व्रत की पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- अगर संभव है तो व्रत करें।
- भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
- इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान शिव की आरती करें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
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