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Uttarakhand Foundation Day 2022: अलग होकर भी उद्देश्य से कहां पीछे रह गया उत्तराखण्ड

प्राकृतिक आभा से अभिभूत देवभूमि के नाम से विख्यात राज्य उत्तराखंड (Uttarakhand Foundation Day 2022) का आज स्थापना दिवस मनाया जा रहा है।

आज देश के 27वें राज्य उत्तराखण्ड का स्थापना दिवस (Uttarakhand Foundation Day 2022 ) मनाया जा रहा है। कई वर्षों तक आन्दोलनों और संघर्षों के बाद इस राज्य को उत्तरप्रदेश से पृथक कर आज यानि 9 नवंबर 2000 को अलग राज्य बनाया गया था। पृथक करने के बाद राज्य को 2000 से 2006 तक उत्तराचंल के नाम से ही जाना जाता था। 2007 में लोगों की मांग पर राज्य का आधिकारिक नाम उत्तराखण्ड कर दिया गया। इस राज्य की सीमा उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी है। धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक आभा से अभिभूत इस राज्य को पवित्र स्थल ‘देवभूमि’ भी कहा जाता है।

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उत्तराखंड (Uttarakhand Foundation Day 2022) को अलग राज्य बनाने के लिए आंदोलन के दौरान की फोटो।

विकास के नाम पर अलग हुए राज्य ने कई त्रासदियां झेलीं, कई बार बड़ी आपदाएं राज्य के विकास में आड़े आती रहीं इसके बाद भी विकास की रफ्तार में संतुलन बना रहा। राज्य का विकास अगर तेजी से नहीं हो पाया तो इसके विकास में सुस्ती भी नहीं देखने को मिली। हालांकि इस राज्य आज भी ऐसे लोग निवास करते हैं जो अभी भी मूलभूत संसाधनों से अछूते हैं।

राज्य (Uttarakhand Foundation Day 2022) के विकास का मापन

उत्तराखंड में कभी औद्योगिक विकास ने पकड़ी रफ्तार तो सड़कों का तेजी के साथ विकास हुआ। काफी हद कल लोगों की बिजली पानी की समस्या का भी समाधान हुआ। सूटिंग के लिए वर्तमान में फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद उत्तराखण्ड को ही माना जाता है। यहां प्रकृर्ति की अद्भूत छटा को देखने के लिए यात्रियों और दर्शनार्थियों की अधिक भीड़ यहीं देखने को मिलती है। जो कि यहां अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। उत्तराखण्ड योग के लिए जाना जाता है। योग की शिक्षा लिए यहां विदेशों से लोग आते हैं।

राज्य के विकास में कमियां

उत्तराखंड ने 22 साल की उम्र में बहुत सारी उपलब्धियां हासिल की लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा की जिस विकास के उद्देश्य से इस राज्य को पृथक किया गया था आज भी वो विकास कहीं न कहीं एक सपना ही है। इस राज्य में आज भी सबसे बड़ी समस्या पलायन बनी हुई है। इस राज्य में आज भी लोग अपनी मूलभूत संसाधनों के लिए पलायन करने को मजबूर हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य की गुणवत्ता में अभी भी कमी देखने को मिलती है। विकास के नाम पर कटते हुए पेड़ों और पहाड़ों के कारण पर्यावरण चिंता का विषय बना हुआ है।

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