FM NEWS : कहते हैं कभी कभी आदमी का कहा हुआ सच हो जाता है आखिरकार, अतीक अहमद के वो शब्द सच साबित हो गए, जो उसने 19 साल पहले कहे थे. बता दें कि अतीक अहमद की प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई है. 2004 में पत्रकारों से बात करते हुए अतीक ने कहा था, ‘एनकाउंटर होगा, या पुलिस मारी, या कोई अपनी बिरादरी का सिरफिरा सड़क के किनारे पड़े मिलब ‘
बताते हैं कैसे मिट्टी में मिला चकिया का सिकंदर
- 15 अप्रैल की रात 10.35 बजे। प्रयागराज के काल्विन अस्पताल के बाहर दो जीप रुकीं
- जीप से पहले कुछ पुलिसकर्मी उतरे, उसके बाद अशरफ को उतारा गया
- इसके बाद पुलिसकर्मी और अशरफ के सहारे अतीक अहमद भी उतरा
- अशरफ ने काली टी-शर्ट और पैंट पहन रखी थी, तो अतीक अहमद सफेद कुर्ते में था। दोनों के हाथ में हथकड़ी थी
- अगले 10 सेकेंड में दोनों अस्पताल की तरफ बढ़ते ही मीडिया से घिर गए
- क पत्रकार ने पूछा- आज जनाजे में आप लोग नहीं गए। उस बारे में कुछ कहना है? इस पर अतीक बोला- नहीं ले गए तो नहीं गए
- इसी समय अशरफ ने बोलना शुरू किया- ‘मेन बात ये है कि गुड्डु मुस्लिम…
- तभी एक शख्स पीछे से आता है और तुर्किये मेड जिगाना पिस्टल से अतीक की कनपटी पर फायर कर देता है
- अगले एक सेकेंड से भी कम वक्त में दो और फायर होते हैं, जो अशरफ की पसलियों में धंस जाते हैं
- अफरा-तफरी के बीच सभी मीडिया और पुलिसकर्मी पीछे हट जाते हैं
- इसके बाद तीन हमलावर अगले 16 सेकेंड में 18 राउंड फायर करते हैं और फिर हाथ उठाकर धार्मिक नारे लगाते हुए सरेंडर कर देते हैं
‘
खुद को चकिया का सिकंदर कहने वाले अतीक का काला साम्राज्य अब इलाहबाद से शुरू होकर प्रयागराज पर ख़त्म हो चुका है लेकिन पीछे कुछ सवाल भी छोड़ गया है कुछ ऐसे सवाल जिनका उत्तर सूबे की पुलिस और सरकार से प्रदेश और देश का विपक्ष मांग रहा है ,पुलिस कस्टडी में हत्या किसी भी तरह से जायज नहीं है, लेकिन जिस तरह सियासी बयानबाजी हो रही है वो सवाल पैदा कर रही है कि नेताओं को अतीक की हत्या का दुख है या फिर मुस्लिम समाज के हितैषी बनने की होड़ मची है.
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का कहना है कि उत्तर प्रदेश में दो हत्याएं हुईं. पहली- अतीक और उसके भाई अशरफ की. दूसरी- रूल ऑफ की. यह कानून की हत्या है
- अतीक ने पहले ही कहा था कि उसकी जान को खतरा है. पुलिस को सुरक्षा देनी चाहिए थी. ऐसी चूक क्यों हुई न्यायिक जांच आयोग इसका पता लगाएगा.
- सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ट्वीट करके अपना विरोध जताया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, उत्तर प्रदेश में अपराध की हद पार हो गई है. अपराधियों के फैसले बुलंद हैं. जब पुलिस कस्टडी में किसी की भी सरेआम हत्या की जा सकती हे तो आम इंसान का क्या.
- वहीं, AIMIM के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ने ओवैसी ने अतीक-अशरफ की हत्या के लिए के लिए योगी सरकार को घेरा है. उन्होंने अपने ट्ववीट में लिखा, अतीक अहमद और अशरफ पुलिस की हिरासत में थे. हथकड़िया लगी हुई थीं. नारेबाजी हुई. ये हत्याएं कानून व्यवस्था की नाकामी को बताती हैं. इस हत्या के लिए एनकाउंटर राज का जश्न मनाने वाले भी जिम्मेदार हैं.
- राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) अध्यक्ष जयंत चौधीर ने अतीक और अशरफ की हत्या पर सवाल उठाते अपने ट्वीट में लिखा कि क्या यह लोकतंत्र में संभव है.
- गुजरात जेल से अतीक अहमद व बरेली जेल से लाए गए उनके भाई अशरफ की प्रयागराज में कल रात पुलिस हिरासत में ही खुलेआम गोली मारकर हुई हत्या, उमेश पाल जघन्य हत्याकाण्ड की तरह ही, यूपी सरकार की कानून-व्यवस्था व उसकी कार्यप्रणाली पर अनेकों गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े करती है-बसपा सुप्रीमो मायावती
हार्डकोर क्रिमिनल अतीक अब अतीत हो गया है लेकिन प्रदेश की शक्तिशाली पुलिस के सामने कई उत्तर देने के लिए प्रश्न छोड़ गया है
- अतीक अशरफ की सुरक्षा में तैनात 17 पुलिसकर्मी उतने अलर्ट नहीं थे क्यों ? असद के एनकाउंटर के बाद पुलिस निश्चिंत थी कि अब हमला नहीं होगा, तभी हमलावर आ गए और संभलने का मौका नहीं मिला
- यूपी पुलिस के जो जवान अतीक और अशरफ की सुरक्षा में तैनात थे, उन्हें कहा गया था कि कुछ भी हो जाए आपको अपने हथियार का इस्तेमाल नहीं करना क्यों ? , वरना आरोपी मारे भी जा सकते थे.
- अतीक और अशरफ जब मेडिकल चेकअप के लिए जा रहे थे तो सीधा मेडिकल करवाने की बजाय उन्हें मीडिया से बातचीत के लिए यूपी पुलिस ने क्या सोचकर रोका था. अगर रोका ही तो फिर सुरक्षा घेरा कमजोर क्यों था ?
- अतीक-अशरफ को खुले में क्यों टहलाया जा रहा था ?
- शूटर पहले से ही ट्रे़ड थे. हत्या के बाद तीनों शूटरों का सरेंडर बड़े सवाल खड़े करता है
- अतीक-अशरफ के शूटरों के पास 7 लाख से ज्यादा कीमत के हथियार थे
- मीडिया के सामने खुले में अतीक-अशरफ को क्यों ले जाया गया?
- पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में तीन लोग आए और बहुत करीब से अतीक और अशरफ पर गोलियां चलाईं, जिसमें दोनों की जान चली गई
- भले ही जनाजा एक अपराधी का था लेकिन हमारा संविधान और कानून किसी भी हत्या को जायज नहीं मानता ऐसे में एक शक्तिशाली पुलिस की कार्यशैली क्या उदहारण पेश कर रही है
- अतीक अपनी सुरक्षा को लेकर बार-बार चिंता जाहिर कर रहा था. इसके बावजूद सावधानी नहीं बरती गई. अतीक पुलिसकर्मी के बीच रूककर मीडिया से बात कर रहा था. आमतौर पर अंडरट्रायल कैदियों को पुलिस मीडिया से बात नहीं करने देती है. हालांकि त्वरित एक्शन लेते हुए यूपी सरकार ने 17 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है.
- माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के प्रयागराज में दुश्मन भी काफी हैं. ऐसे में उसकी जान को खतरा है. इसकी जानकारी पुलिस को भी थी. बावजूद इसके उसकी सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई. अतीक के साथ इस तरह की घटना के इनपुट पुलिस के पास पहले से क्यों नहीं थे ?
- जब बदमाशों ने पिस्टल निकाला तो उस समय पुलिसकर्मियों ने रोका क्यों नहीं. जबकि अतीक और अशरफ दोनों का हाथ पकड़कर पुलिसकर्मी चल रहे थे ?
- अतीक अहमद सजा याफ्ता है, जबकि अशरफ विचाराधीन कैदी है. दोनों ही न्यायिक हिरासत से पुलिस के कस्टडी रिमांड पर हैं. विधि के मुताबिक ऐसे हालात में इनका मीडिया ट्रॉयल तो दूर, कोर्ट के बाहर परिजनों से भी मुलाकात नहीं कराई जा सकती. ऐसे में यह सवाल भी लाजमी है कि बीच सड़क पर पुलिस ने मीडिया ट्रॉयल क्यों कराया. मीडिया को अतीक और अशरफ के करीब क्यों आने दिया गया ?
- अतीक अहमद का रिमांड अभी पूरा नहीं हुआ था. तीन दिन पहले साबरमती जेल से लाने के बाद और कोर्ट में पेश करने से पहले उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया था. इसकी रिपोर्ट भी कोर्ट में दी गई. कायदे से रिमांड अवधि पूरी होने के बाद उसका मेडिकल परीक्षण होना था. लेकिन अचानक बीच में ऐसा क्या हुआ कि पुलिस अतीक और अशरफ का मेडिकल परीक्षण कराने के लिए उन्हें लेकर अस्पताल पहुंच गई.
- सवाल यह भी है कि यह मेडिकल परीक्षण रात में क्यों कराया गया, जबकि विशेष परिस्थिति को छोड़ कर इस तरह की औपचारिकता दिन में कराई जाती है.
- जिन तीन बदमाशों ने अतीक अहमद और अशरफ की हत्या को अंजाम दिया है, उनका इनसे कोई लेना देना नहीं है. खुद पुलिस भी मानती है कि यह तीनों बदमाश बाहर से आए थे. ऐसे में ये सवाल लाजमी है कि यह तीनों बदमाश अचानक कहां से आ गए
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सवाल कि इन बदमाशों को कैसे पता चला कि पुलिस इन बदमाशों को लेकर अस्पताल आने वाली है. पुलिस ने इस वारदात के एफआईआर में पांच आरोपियों की बात की है. इनमें मौके से पकड़े गए तीन बदमाशों को नामजद किया गया है. ऐसे में यह भी सवाल है कि बाकी के दो बदमाश कौन हैं.
अतीक अब अतीत
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