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RBI ने Repo Rate में किया इज़ाफ़ा, महंगा पड़ेगा लोन लेना

महंगाई के इस वक़्त में अब लोन लेना महंगा होने वाला है। RBI ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिए बुधवार(8 जून) को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया। इससे पहले, चार मई को RBI ने अचानक से रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की थी।

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत किया। पहले मुद्रास्फीति 5.7 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया गया था। RBI ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। बता दें कि RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा और कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ेगी।

दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि एमपीसी ने आम सहमति से नीतिगत दर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि महंगाई दर चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में छह प्रतिशत से ऊपर बने रहने की आशंका है। RBI मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत रही। यह केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं अधिक है। RBI को खुदरा महंगाई दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी मिली हुई  है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।

धीरे-धीरे ऑटो लोन, पर्सनल लोन महंगे होंगे। वो वाले पर्सनल लोन भी, जो आपको मोबाइल ऐप पर भी मिल जाते हैं। ऐसे आप नया सामान खरीदने से बचेंगे क्योंकि महंगा पड़ेगा,  खर्चों में कटौती करेंगे वहीं, कंपनियां भी लोन लेकर नए प्रोजेक्ट लगाने से बचेंगीं। फिलहाल रिज़र्व बैंक को कुल मिलाकर उम्मीद यही है कि पैसे खिंचने से बाजार ठंडा होगा,  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी।

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने समिति की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि हम मुद्रास्फीति को अपने लक्ष्य के दायरे में लाने के लिए कदम उठा रहे हैं, महंगाई दर चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में 6 प्रतिशत से ऊपर बने रहने की आशंका है। यूक्रेन में युद्ध से दुनिया भर में मुद्रास्फीति बढ़ी है। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, रिजर्व बैंक वृद्धि को समर्थन करता रहेगा। बता दें नीतिगत दरों के बारे में फैसला करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक सोमवार को शुरू हुई थी। माना जा रहा था कि केंद्रीय बैंक बढ़ती मुद्रास्फीति पर अंकुश के लिए कुछ सख्त नीतिगत कदम उठा सकता है और ऐसा ही हुआ।

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