
कर्नाटक में ‘हिजाब’ के बाद अब ‘हलाल मीट’ पर बवाल
उगादि महोत्सव के दौरान कर्नाटक में उठा था विवाद
राजनीति के मुद्दे में शामिल हुआ ‘हलाल मीट मुद्दा’
बोम्मई सरकार ने कर ली तैयारी ,अब विधेयक की बारी
कर्नाटक में हलाल मीट होगा ‘बैन’!
कर्नाटक (Karnataka) में हलाल मीट को लेकर एक बार फिर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गयी है । जिसको लेकर बसवराज बोम्मई सरकार हलाल मीट के खिलाफ विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। बता दें कि इसका प्रस्ताव बनकर तैयारभी हो गया है। जानकारी के अनुसार कर्नाटक के शीतकालीन सदन में यह विधेयक सबके सामने पेश किया जा सकता है। वहीं इसे लेकर हंगामे की भी उम्मीद जताई जा रही है। कर्नाटक में हलाल मीट के खिलाफ विधेयक को अगले साल होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 से जोड़कर देखा जा रहा है।
वहीं हिंदुत्व रुख के हिस्से के रूप में कर्नाटक में BJP सरकार ने पहले से ही गोहत्या और धर्मातरण पर रोक लगाने वाले कानून पेश किए हैं। BJP के कदमों को राज्य के राजनीतिक स्पेक्ट्रम में धर्मनिरपेक्ष दल संदेह के साथ देख रहे हैं। कर्नाटक में मुस्लिम आबादी का 14 प्रतिशत हिस्सा है और तटीय इलाकों के साथ-साथ राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी इसका महत्वपूर्ण प्रभाव है। यह राज्य दक्षिणपंथी हिंदू और मुस्लिम राजनीति के लिए एक उर्वर भूमि रहा है।
BJP के लिए ये मुद्दे बने खास
हाल ही में हिजाब, हलाल और अंत में मंगलुरु में ऑटो-रिक्शा विस्फोट के साथ-साथ कई हत्याओं ने दोनों समुदायों के बीच लड़ाई की रेखाएं खींच दी हैं। हिजाब, हलाल हो या लव जिहाद, कर्नाटक में पिछले एक साल में सामने आईं कई घटनाएं राजनीतिक अजेंडे को मजबूती से स्थापित करती दिख रही हैं। कर्नाटक में अगले साल मई 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी हिंदुत्व की राह पर आगे बढ़ रही है।
क्या है हलाल और झटका को लेकर विवाद
हलाल मीट को लेकर विवाद हो रहा है कि मुसलनान जानवर को मक्का की तरह मुंह करके उसके गले की नस काटते हैं। इस दौरान वह अल्लाह का नाम लेते हैं। उसे तड़पा-तड़पाकर मारते हैं। मुसलमान हलाल मीट को ही खाने योग्य मानते हैं। उनमें झटका मीट खाने की मनाही होती है। हिंदुओं में जानवर की बलि झटके में दी जाती है। माना जाता है ईश्वर का नाम लेकर एक ही वार में जानवर की गर्दन धड़ से अलग कर दी जाती है। इससे जानवर को कम दर्द होता है। इसे बलि देना कहते हैं।