
आज कल के बच्चे माता पिता से ज़्यादा उनकी संपत्ति से प्यार करते हैं। संपत्ति नहीं तो माता पिता से भी कोई वास्ता नहीं। मध्य प्रदेश के खंडवा में एक कलयुगी बेटे ने अपनी मां का शव तक लेने से इंकार कर दिया है। इतना ही नहीं परिवारवालों के पास भी मृत महिला का अंतिम संस्कार करने के लिए समय तक नहीं है।
खंडवा के जिला अस्पताल की मरच्यूरी में एक महिला का शव पिछले चार दिनों से रखा हुआ है लेकिन अंतिम संस्कार के लिए परिवार का कोई भी सदस्य आना नहीं चाहता। बेटे ने तो माँ से मुंह मोड़ते हुआ कहा कि उसे उससे कोई मतलब ही नहीं। मोघट पुलिस 4 दिन से महिला के शव का पीएम करवाने के साथ उनके अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया के लिए लगातार बेटे और परिवारवालों से फोन पर संपर्क कर रही है। परिवार के लोग हैं कि महिला के अंतिम संस्कार तक के लिए टाइम नहीं निकाल पा रहे हैं।
जानें, पूरा मामला
यवतमाल जिले के वणी गांव में रहने वाली 55 वर्षीय पुष्पा पति जोगेंद्र सिंह की एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। जिला अस्पताल पुलिस चौकी के अनुसार 25 मई को पुष्पा अपनी बेटी निकिता (27), भतीजे अभिषेक (27) और भतीजी पिंकी (29) के साथ कार से बैतूल के देसली होते हुए ओंकारेश्वर की ओर आ रही थी। कार भतीजा अभिषेक चला रहा था। देसली गांव के पास कार का स्टेयरिंग फेल हो गया और वह पलट गई। इस दुर्घटना में पुष्पा, निकिता और पिंकी को गंभीर चोट आई। अभिषेक सुरक्षित था। अभिषेक ने स्थानीय लोगों की मदद से तीनों को खंडवा के जिला अस्पताल पहुंचाया। जहां पुष्पा को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया और निकिता और पिंकी को नागपुर के अस्पताल में रैफर कर दिया। पुलिस ने पुष्पा का मर्ग कायम कर शव को पीएम के लिए मरच्यूरी में रखवा दिया। बिना पोस्टमार्टम करवाए अभिषेक पुष्पा का शव यहीं छोड़कर चला गया।
मोघट के थाना टीआई ईश्वर सिंह चौहान ने बताया कि हम पुष्पा के ससुराल पक्ष से लेकर बेटे सन्नी, भाई राकेश सिंह को भी फोन कर रहे हैं। लेकिन वे ना तो शव लेने आए और ना ही अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सहमति दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि परिवार में संपत्ति विवाद की वजह से बेटे ने मां से दूरी बनाई बनाई है। मां अभी बेटियों के पास रह रही थी।
पुष्पा के भाई राकेश का कहना है कि मैं अंतिम संस्कार के लिए आऊंगा, लेकिन रिजर्वेशन नहीं होने की वजह से आने में देर हो रही है। राकेश ने बताया, ‘पति की मौत के बाद बच्चों को पाल पोसकर बड़ा करने का संघर्ष उसने अकेले किया। जब बच्चे बड़े हुए तो एक मां की जिम्मेदारी उन पर भारी पड़ गई। मरने के बाद भी उसे अपनों का कंधा नसीब नहीं हो रहा।’
मोघट थाने के एएसआई रमेश जाधव के अनुसार जब उन्होंने महिला के बेटे को फोन करके मां के अंतिम संस्कार के लिए खंडवा बुलाया तो उसने कहा कि मैं नहीं आ सकता। मुझे कोई मतलब नहीं, मेरे पास इतना समय नहीं है। पुष्पा के ससुर इंद्रजीत से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि मेरी काफी उम्र हो चुकी है। पुष्पा के चार देवर और उनके बच्चे भी हैं। लेकिन अपनी जॉब और काम में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास भाभी के अंतिम संस्कार के लिए वक्त नहीं है। पुष्पा के भाई राकेश सिंह ने आने का आश्वासन तो दिया लेकिन वह भी अभी तक नहीं आ पाए।
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