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47 साल पहले जोशीमठ को लेकर हुई थी भविष्यवाणी,अब हो रही सच!  

इन दिनों जोशीमठ चर्चा का विषय बना हुआ है। आखिर बने भी क्यों नहीं, वहां के हालात भी ऐसे है कि राज्य से लेकर केंद्र तक सभी जोशीमठ को लेकर अलर्ट मुड पर है।

इन दिनों जोशीमठ चर्चा का विषय बना हुआ है। आखिर बने भी क्यों नहीं, वहां के हालात भी ऐसे है कि राज्य से लेकर केंद्र तक सभी जोशीमठ को लेकर अलर्ट मुड पर है। वहीं वैज्ञानिक भी इसको लेकर खासा परेशान है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जोशीमठ की यह समस्या आज की नहीं है, बल्कि पिछले 47 साल पहले ही इसको लेकर वैज्ञानिकों ने गहरी चिंता जताई थी। इसके साथ ही ऐसी समस्या आयेगी, वो भी उन्होंने पहले ही बता दी थी। लेकिन हमेशा की तरह हमारे सरकारी तंत्र सुस्त पड़े थे। यहां तक की सरकारें उस वक्त से लेकर अब तक यानी जब तक कि ऐसी परेशानी मीडिया की सुर्खियां ना बन गयी, तब तक सभी सरकारी तंत्र सुस्त पड़े रहे। लेकिन अब आनन-फानन में केंन्द्र सरकार लगातार बैठके करने लगी है। जिसके बाद बिना नोटिस दिये कुछ होटलों को तोड़ा भी गया है। काश की सरकार 47 साल पहले ही वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी को सच मानकर बड़े कदम उठाई होती तो शायद आज हमें इस तरह की भयावह स्थिति को ना देखना पड़ता।

बता दें जोशीमठ लगभग ढाई हजार से लेकर 3050 मीटर की ऊंचाई में फैला हुआ है। जो अपने साथ नंदा देवी, कामेट, दूनागिरी जैसी हिमाच्छादित पर्वत चोटियों को समेटे हुए है। बता दें देश के चारधामों में से एक बदरीनाथ का शीतकालीन गद्दीस्थल होने का गौरव भी जोशीमठ को मिला है

यह भी देखें :

 

आपदा के 5 बड़े कारण

जोशीमठ का पुराने भूस्खलन क्षेत्र में मलबे पर बसा होना।

अनियोजित और अवैज्ञानिक तरीक से निर्माण कार्य।

शहर में सीवरेज और ड्रेनेज की कोई व्यवस्था न होना।

कमजोर प्राकृतिक संरचना वाले शहर पर अत्यधिक बोझ।

47 सालों में विज्ञानियों के सुझावों पर अमल न करना।

सरकार के बड़े निर्णय

जोशीमठ को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश का संकल्प।

जोशीमठ में सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर रोक।

जोशीमठ का लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र आपदाग्रस्त घोषित।

डेंजर जोन में जानमाल की सुरक्षा के लिए कदम।

पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार से राहत पैकेज की मांग।

ऐसी आपदाओं से बचने के लिए शहरों की धारण क्षमता का आकलन।

विज्ञानियों की पांच रिपोर्ट

वर्ष 1976 में तत्कालीन मंडलायुक्त एमसी मिश्रा की अध्यक्षता में गठित विज्ञानियों की समिति ने सौंपी थी रिपोर्ट।

वर्ष 2006 में वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के विज्ञानियों की रिपोर्ट में भी जोशीमठ के खतरे को लेकर किया गया था सावधान।

वर्ष 2013 की केदारनाथ त्रासदी के बाद विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में भी इस विषय पर खींचा गया था ध्यान।

जुलाई 2022 में विज्ञानियों की रिपोर्ट में जोशीमठ में मुश्किलें खड़ी होने का जताया गया था अंदेशा।

सितंबर 2022 में सरकार की ओर से गठित विज्ञानियों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में जोशीमठ में हो रहे जल रिसाव को बताया था मुख्य कारण।

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