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Gyanvapi Case: हिन्दू पक्ष के पक्ष में नहीं आया कोर्ट का फैसला

ज्ञानवापी में मिले 'कथित शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग को लेकर कोर्ट का फैसला हिन्दू पक्ष के लिए निराशाजनक, कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की मांग को किया खारिज

वाराणसी की ज्ञानवापी में मिले ‘कथित शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग नहीं होगी। हिन्दू पक्ष द्वारा एक बार फिर सर्वे कराकर शिवलिंग जैसी मिली ठोस संरचना की उम्र, लंबाई और चौड़ाई का पता लगाने की मांग की गई थी। जिसे वाराणसी कोर्ट ने खारिज कर दिया है। आज वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई के दौरान कोर्ट में 58 लोगों को एंट्री दी गई। हिंदू और मुस्लिम पक्ष से जुड़े पक्षकार, उनके पैरोकार और एडवोकेट की मौजूदगी में कोर्ट ने फैसला यह सुनाया। फैसला सुनाते हुए जज ने कहा कि, वो नहीं चाहते कि कथित शिवलिंग के साथ अपमान हो, इसलिए कार्बन डेटिंग खारिज करते हैं। आपको बता दें कि मस्जिद के वजूखाने में मौजूद ‘कथित शिवलिंग’ की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(ASI) से वैज्ञानिक पद्धति से चांज कराने की मांग की गई थी। 11 अक्टूबर को कोर्ट ने फैसला 14 अक्टूबर तक सुरक्षित रख लिया था।कोर्ट को यह तय करना था कि कि कार्बन डेटिंग या वैज्ञानिक तरीके से ज्ञानवापी परिसर की जांच करानी है या नहीं?

जानिए क्यों करायी जाती है कार्बन डेटिंग?

कार्बन डेटिंग ऐसी विधि है, जिसकी सहायता से किसी वस्तु की उम्र का अंदाजा लगाया जाता है। किसी पुरातात्विक खोज की जाती है या फिर वर्षों पुरानी कोई मूर्ति मिलती है तो वह कितनी पुरानी है इसकी गणना कार्बन डेटिंग द्वारा की जाती है। इसे एब्सल्यूट डेटिंग(Absolute dating) भी कहा जाता है। इसकी सहायता से 40 से 50 हजार साल की सीमा का पता लगाया जा सकता है।

 

 

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