IQAIR की रिपोर्ट के मुताबिक,Delhi बनी दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी

Delhi में रहने का सपना ना जानें कितने ही लोग देखते हैं लेकिन Delhi में रहना खतरे से खाली नहीं है। भारत की राजधानी Delhi लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी रही। यही नहीं, दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 भारतीय शहर हैं। आईक्यूएआईआर(IQAIR) की ताज़ा रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है।
ग्रीनपीस इंडिया के अभियान प्रबंधक अविनाश चंचल ने IQAIR के ताजा आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट सरकारों और निगमों के लिए एक वेकअप कॉल है। यह एक बार फिर उजागर कर रहा है कि लोग ख़तरनाक प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। शहरी PM2.5 स्तर में वाहनों से होने वाले प्रदूषण का बड़ा योगदान है। भारत में वाहनों की वार्षिक बिक्री बढ़ने की उम्मीद के साथ यदि समय पर सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए तो यह निश्चित रूप से वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाला है।
अविनाश चंचल ने कहा कि Air Pollution का मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और यह तेज़ी से बढ़ती जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख संकेतक है। अच्छी बात यह है कि Air Pollution संकट का समाधान खोजने के लिए हमें विज्ञान में निवेश करने की आवश्यकता नहीं है। हम समाधान जानते हैं, और यह आसानी से सुलभ है। पीएम वायु प्रदूषण ईंधन के जलने से उत्पन्न होता है जो जलवायु संकट में एक प्रमुख योगदानकर्ता है। अब समय आ गया है कि सरकारें परिवहन के लिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दें और बुनियादी ढांचे का निर्माण करें जो साइकिल, सार्वजनिक परिवहन और पैदल चलने वालों को प्रोत्साहित करे।
2021 की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट में लगातार चौथे वर्ष New Delhi को दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी शहर (और चौथा सबसे प्रदूषित शहर) के रूप में दर्शाया गया है। इसके बाद बांग्लादेश में ढाका, चाड में एन’जामेना, ताजिकिस्तान में दुशांबे और ओमान में मस्कट का स्थान है। New Delhi में 2021 में PM2.5 में 14.6% की वृद्धि देखी गई, जो 2020 में 84 μg/m3 से बढ़कर 96.4 μg/m3 हो गई।
शीर्ष 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 भारत में हैं, जबकि भारत का वार्षिक औसत PM2.5 स्तर 2021 में 58.1 μg/m3 तक पहुंच गया, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार के तीन साल के प्रयास विफल हो गए। भारत का वार्षिक PM2.5 औसत अब 2019 में मापे गए पूर्व स्तर पर वापस आ गया है।
चिंताजनक रूप से, 2021 में भारत के शहरों में से कोई भी 5 μg/m3 के निर्धारित विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों को पूरा नहीं कर पाया। भारत के 48% शहर 50 μg/m3 से अधिक या WHO के दिशानिर्देशों के 10 गुना से अधिक हैं।
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