
दिल्ली विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विधानसभा पहुंचे और कार से सीधे में सदन में गए। मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि पूरे देश में सवाल उठ रहा है कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार की चलनी चाहिए या एक व्यक्ति विशेष की चलनी चाहिए। समय बहुत बलवान होता है कोई भी चीज परमानेंट नहीं होती है। बहुत सरकारें आयी और चली गई। हो सकता है कि केंद्र में हमारी सरकार हो। दिल्ली में एलजी हमारा हो। उस दौरान दिल्ली में भाजपा या कांग्रेस की सरकार हो सकती है। मगर हमारा एलजी ऐसे काम नहीं करेगा। हम चुनी हुई सरकार की इज्जत करते है। दिल्ली में 2 करोड़ लोग हैं।
अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल को बेगाने की शादी में अब्दुल्ला दीवाना करार दिया। दिल्ली वालों के टैक्स के पैसे से भेजेंगे। कौन एलजी जो हमारे सिर पर आ कर बैठ गया। दिल्ली सरकार के कार्यों में अड़ंगा लगा रहे हैं, जबकि उनका कोई अधिकार नहीं है। हम तय करेंगे हमारे बच्चे कहां पढ़ेंगे। एलजी के पास पावर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि तीन मुद्दों के अलावा उनके पास पावर नही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल व्यक्तिगत तौर पर कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र नहीं है। वह सेवा कानून व्यवस्था और पुलिस से संबंधित मामलों में निर्णय ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दो बार लिखा है कि एलजी के पास पावर नही हैं।
मगर उपराज्यपाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मान रहे हैं और वे लगातार दिल्ली सरकार के काम में अड़ंगा लगा रहे हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल राय दी थी। मैं पढ़ने के दौरान टॉपर रहा था, कभी मेरे टीचरों ने मेरा होमवर्क चेक नहीं किया और उपराज्यपाल हमारी फाइल चेक कर रहे हैं जैसे वह मेरे हेड मास्टर हैं। संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति कैसे बोल सकता है कि कोर्ट का ऑर्डर नहीं मानेंगे। एमसीडी में पार्षद मनोनीत करने के मामले में भी आपत्ति जताई है। मैं मुख्यमंत्री हूं। मैने सब कुछ देख लिया। मैं पहली से 12वीं तक प्रथम आया। मेरे टीचर ने भी कभी ऐसे जांच नहीं कि जैसे एलजी कर रहा हैं। किस धारा में कहा गया है कि कॉस्ट एनिलेज करवाएंगे। हाईकोर्ट का ऑर्डर लेकर गया था। एलजी सीधे किसी भी विषय पर आदेश दे रहे हैं।