
China सरकार इन दिनो काफी सुर्खियों में छाया हुआ है। बता दें कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग लोगों के निशाने पर आ गये है। देश में चल रहे 33 साल में सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन ( China Protest) को दबाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार दिख रही है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो चीन के बड़े शहरों में सादे ड्रेस में मौजूद पुलिस के लोग प्रदर्शनकारियों का किडनैप कर रहे है। जिसमें अब चीन की सेंसरशिप मशीन भी एक्टिव हो गई है। उरुमकी और शंघाई जैसे शब्दों को सेंशर कर दिया गया है। जिसके बाद प्रोटेस्ट सर्च करने पर पोर्न से जुड़े लिंक दिख रहे हैं।
सोशल मीडिया पर प्रदर्शन को छिपाने के लिए सेक्स बॉट का इस्तेमाल
चीन अब राष्ट्रपति जिनपिंग की जीरो कोविड नीति के खिलाफ प्रदर्शन को दुनिया से छिपाने के लिए सेक्स बॉट का इस्तेमाल कर रहा है। चीन में पिछले शुक्रवार से प्रदर्शन की शुरुआत के बाद से स्पैम अकाउंट्स की बहार आ गई है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के चीनी-अमेरिकी रिसर्चर मेंग्यू डोंग ने चीन की इस हरकत को दुनिया के सामने लाया है। डोंग ने स्पैम अकाउंट्स से जुड़े कई ट्वीट किए हैं। कई स्क्रीनशॉट के जरिए उन्होंने बताया कि कैसे आपको चीन के शहरों का नाम सर्च करने पर एस्कॉर्ट सर्विस से जुड़े पोस्ट देखने को मिलेंगे। डोंग ने आगे लिखा कि दुख की बात है कि अगर कोई चीनी यूजर्स ट्विटर पर सर्च कर यह जानना चाहता हो कि बीती रात चीन में क्या हुआ, तो सबसे पहले nsfw (not suitable for work) पोस्ट दिखाई देंगे।
अचानक एक्टिव हो रहे बंद बड़े अकाउंट्स
वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को बड़ी संख्या में चीनी भाषा के ट्विटर अकाउंट की बाढ़ देखने को मिली। इन अकाउंट्स में अश्लील तस्वीरें और वीडियो हैं। इनमें से कई अकाउंट ऐसे हैं जो सालों पहले बने था और सिर्फ एक दो पोस्ट हुए थे। लेकिन चीन में प्रदर्शन शुरू होते ही ये हजारों अकाउंट्स फिर से एक्टिव हो गए हैं।
इन अकाउंट्स से हर दिन हजारों पोस्ट डाली जा रही हैं। इन पोस्ट में आपत्तिजनक तस्वीरों के ट्वीट में शहरों के नाम हैं, ताकि जब कोई शहरों के नाम सर्च करे तो उन्हें इस तरह के वीडियो देखने को मिलें। स्टैनफोर्ड इंटरनेट ऑब्जर्वेटरी के निदेशक एलेक्स स्टामोस ने भी इस स्पॉट किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि जानबूझकर किया गया हमला है, ताकि चीन में हो रहे विरोध प्रदर्शन को बाहरी हस्तक्षेप से बचाया जा सके।
चीन ने फिर अपनाया पूराना हथकंडा
चीन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तरह के हथकंडे कई बार अपना चुका है। बता दें कि हॉन्ग कॉन्ग में 2019 के मास प्रोटेस्ट के दौरान भी ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर चीन ने इसी तरह की साजिश रची थी। जिसका ठिकरा चीन ने CIA के ऊपर फोड़ दिया था। इसकी वजह से ट्विटर और फेसबुक पर हजारों बीजिंग समर्थक पोस्ट से भर गए थे। इसके लिए फर्जी अकाउंट्स बनाए गए, जिन्हें बाद में ब्लॉक करना पड़ा।
चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर शंघाई और उरुमकी जैसे शब्दों को बैन कर दिया है। वीबो पर जब ऐसे शब्द सर्च के लिए डालेंगे तो आपको सेंसर्ड सर्च दिखेगा। आंदोलन से पहले ऐसे की वर्ड डालने पर आपको इसे जुड़े लाखों रिजल्ट दिखाई देते थे। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि लोग जीरो कोविड नीति के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के बारे में बात नहीं कर सकें। इसके साथ ही वीबो पर अब कोरे कागज को भी बैन कर दिया गया है।
पुलिस से बचने के लिए कोरे कागज से प्रदर्शन
चीन में हुए प्रदर्शनों की जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं उनमें लोगों को सफेद कागज हाथों में लिए दिखाई दे रहे हैं। सफेद कागज लिए ये प्रदर्शनकारी खामोश रहते हैं। कई लोगों ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन करने के लिए सोशल मीडिया पर भी कोरे कागजों की तस्वीरें साझा की हैं।
ऐसा पहली बार नहीं है जब चीनी प्रदर्शनकारी सफेद कागज का इस्तेमाल अपनी बात कहने के लिए कर रहे हैं। चीन में यह सफेद कागज लोगों की आवाज दबाने का प्रतीक बन गया है। चूंकि उन कागजों पर कुछ लिखा नहीं है इसलिए कानूनन उन्हें किसी टिप्पणी के लिए सजा नहीं दी जा सकती।
शंघाई जैसे शहरों में पुलिस प्रदर्शनकारियों को घर से बाहर नहीं निकलने दे रही है। यदि किसी स्थान पर प्रोटेस्ट की सूचना मिल रही है तो वहां पर तुरंत भारी पुलिस बल पहुंच जा रहा है। बुधवार को सैकड़ों एसयूवी, वैन और चमकती रोशनी वाले बख्तरबंद वाहन शहर की सड़कों पर खड़े दिखे। वहीं शंघाई पुलिस सड़क पर चल रहे लोगों के फोन छीनकर उनकी तलाशी ले रही है। साथ ही सोशल मीडिया पर की पोस्ट के बारे में भी तलाशी ली जा रही है।