
‘भगवा जिसकी पहचान,RSS उसका नाम’ जी हां मैं बात कर रहा हूं (RSS) यानि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की जिसकी पहचान ही भगवा है। संघ परिवार जिसके निशाने पर हमेशा से या तो मुस्लिम या फिर ईसाई परिवार ही रहे है । RSS जिनको ईसाइयों की प्रथा से भी खासा दिक्कत रहा है। ऐसे में इस बार राजनीति ना जाने क्या ही कराने वाली है। इस बात को ऐसे ही नहीं कह रहा बल्कि इसके पीछे वजह भी काफी बड़ी सामने आ रही है।
जानकारी के मुताबिक संघ परिवार इन दिनों ईसाई समुदाय को जोड़ने की कोशिशों में जुटा हुआ है। जिसके लिए संघ परिवार ने अपना पहला कदम भी उठा लिया है। खबर चौकाने वाली है लेकिन यह बिल्कुल सत्य भी है। बता दें संघ परिवार पहली बार अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री जॉन बारला मेघालय हाउस में शुक्रवार को क्रिसमस भोज की मेजबानी करेंगे। इसमें RSS से जुड़े राष्ट्रीय ईसाई मंच के इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर से केरल तक के चर्च प्रमुख भाग लेंगे। साथ ही RSS के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार के भी कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना व्यक्त की गयी है।
ये पहली बार होगा जब राष्ट्रीय ईसाई मंच की ओर से उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के चर्च प्रमुखों को भी आमंत्रित किया जा रहा है, जहां पिछले कुछ समय से पादरियों, चर्चों और ईसाइयों के कुछ संस्थानों पर हमलों की घटनाएं सामने आईं हैं।
इस दिशा में RSS ने अब तक क्या कदम उठाए
जम्मू-कश्मीर… ईसाई प्रतिनिधियों को आमंत्रण देकर बड़ा दांव चला जम्मू-कश्मीर के ईसाई प्रतिनिधियों को न्योता दिया है। कश्मीर में मुस्लिम बहुल आबादी को देखते हुए इसे RSS का एक बड़ा राजनीतिक दांव भी माना जा रहा है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार जम्मू-कश्मीर की लगभग 1.25 करोड़ की आबादी में लगभग 36 हजार ईसाई हैं।