युवतियों और महिलाओं को पीरियड्स के समय छुट्टी के लिए (SC) सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस मामले पर SC में 24 फरवरी को सुनवाई होने जा रही है।
वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी की तरफ से दाखिल याचिका में सुप्रीम कोर्ट से राज्य सरकारों को महिलाओं के लिए मासिक धर्म की समस्या में छुट्टी के लिए नियम बनाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई है।
इस याचिका में यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन की एक स्टडी का हवाला दिया गया है। जिसमें कहा गया है कि पीरियड्स के वक्त महिलाओं को काफी दर्द रहता है। पीरियड्स का दर्द हार्ट अटैक में होने वाले दर्द के बराबर होता है। इस कारण कामकाजी महिलाओं के काम की क्षमता प्रभावित होती है।
इस जनहित याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 को प्रभावी तौर पर लागू करने के निर्देश सरकार को देने की गुहार अदालत से लगाई गई है। याचिका में छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए पीरियड्स से होने वाले दर्द के लिए अवकाश दिए जाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति भी सुनिश्चित की जाए।
इस याचिका में बिहार की महिला कर्मचारियों को पीरियड्स में मिलने वाली छुट्टी का भी हवाला दिया गया है। बिहार में 1992 की नीति के तहत महिला कर्मचारियों को विशेष मासिक धर्म दर्द अवकाश प्रदान किया जाता है।
याचिका में कहा गया है कि ऐसे में देश के अन्य राज्यों में महिलाओं को मासिक धर्म के दर्द या मासिक धर्म की छुट्टी से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता और गरिमापूर्ण जीवन जीने के उनके मौलिक संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है।
याचिका में इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट से दखल की गुहार लगाते हुए कहा गया है कि मासिक धर्म में दर्द से राहत के लिए अवकाश को लेकर विधायी इच्छाशक्ति की कमी है। क्योंकि संबंधित मामलों पर लोकसभा में दो सांसदों ने प्राइवेट बिल पेश किए थे। लेकिन दोनों बिल लैप्स कर गए। 2018 में शशि थरूर ने वीमेंस सेक्शुअल रिप्रोडक्टिव एंड मेंस्ट्रूअल राइट्स बिल पेश किया था। इसमें कहा गया था कि महिलाओं को पब्लिक अथॉरिटी फ्री में सैनेटरी पैड आदि उपलब्ध कराएं।
इसी तरह दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को कहा था कि पीरियड्स की छुट्टी के लिए दाखिल पीआईएल को रिप्रजेंटेशन के तौर पर देखा जाए। वहीं लोकसभा में केंद्र सरकार ने एक बार लिखित जवाब में कहा था कि सेंट्रल सिविल सर्विसेज लीव रूल्स 1972 में मेंस्ट्रूअल लीव के लिए कोई प्रावधान नहीं है।
स्पेन ने पिछले साल उठाया बड़ा कदम
पिछले साल मई में स्पेन ने महिलाओं को पीरियड्स पर हर महीने तीन दिन की छुट्टी देने का ऐलान किया था। इतना ही नहीं वहां कैबिनेट बैठक में एक सुधार पैकेज के तहत, स्कूलों की उन लड़कियों के लिए ‘सैनिटरी पैड’ देने की भी मंजूरी दी गई जिन्हें हर महीने पीरियड्स की समस्या से दो-चार होना पड़ता है।
लेकिन वहीं भारत में ऐसी बहुत कम ही कंपनियां और संस्थान हैं,जो पीरियड्स के दौरान महिलाओं को छुट्टी देती है। असल में पीरियड्स के दौरान ज्यादातर महिलाओं को मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, ऐंठन, दर्द और तबीयत खराब रहती है। ऐसे में हर महिला को उस दौराम आराम की जरूरत होती है। हालांकि भारत की कंपनियां महिलाओं के आराम को प्राथमिकता देती हैं और महिलाओं को मासिक धर्म की छुट्टी देती हैं। आइए जानें भारत की 12 ऐसी कंपनियों के बारे में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को छुट्टी देती है।
जोमैटो और ये कंपनी देती है महिलाओं को छुट्टी
1. जोमैटो ने घोषणा की कि महिला और ट्रांसजेंडर कर्मचारी साल में 10 दिन “पीरियड लीव”ले सकते हैं। ये 10 दिनों का पीरियड्स लीव पेड होगा।
2. वहीं डिजिटल मीडिया कंपनी FlyMyBiz भी अपनी महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश की शुरुआत की है। ये कंपनी हर महीना एक दिन की पीरियड लीव देती है।
3. BYJU’S महिलाएं हर साल 12 पीरियड लीव देती है। यानी हर महीने एक दिन की महिलाओं को पेड लीव दी जाती है। 4. स्विगी ने सभी फूड डिलिवर करने वाली महिला कर्मचारियों को हर महीने 2 पीरियड लीव देता है। इसके अलावा स्विगी महिलाओं के हाइजैन का भी ध्यान रखती है। 5. मलयालम मीडिया की दिग्गज कंपनी मातृभूमि भी पीरियड्स के दौरान महिलाओं को लीव देती है।
6. मुंबई की एक डिजिटल मीडिया कंपनी Gozoop Online Pvt Ltd ने इसी साल अपनी कंपनी में काम करने वाली महिलाओं के लिए पीरियड्स लीव देने की नीति लागू की है। महिलाएं चाहे तो पीरियड्स के दौरान वर्क फॉर होम भी कर सकती हैं।
7.मुंबई स्थित डिजिटल मीडिया स्टार्टअप कल्चर मशीन ने भी एक नीति लागू की है, जो महिला कर्मचारियों को पीरियड के फर्स्ट डे छुट्टी लेने की अनुमति देती है।
8.iVIPAN ने भी सभी महिला कर्मचारियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पीरियड्स के दौरान छुट्टी देती है।
9. नई दिल्ली में स्थित एक महिला लॉन्ड्री कंपनी ‘वेट एंड ड्राई पर्सनल केयर’ भी महिलाओं को ‘पीरियड लीव’ देती है।
10. चेन्नई स्थित Magzter कंपनी भी अपनी महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव देती है।
11. हैदराबाद का तीन साल पुराना स्टार्ट-अप IndustryARC ने भी अपनी कंपनी में मासिक धर्म नीति लागू की है, जो हर महिलाओं को जरूरत पड़ने पर छुट्टी देती है।
12. हॉर्स स्टेबल न्यूज संगठन भी महिला कर्मचारियों के लिए दो दिन का मासिक अवकाश देता है। इसके अलावा सभी विवाहित पुरुषों को इस दौरान अपने जीवनसाथी की देखभाल करने के लिए एक दिन का ऑफ देता है।
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