CrimePoliticsक्राइमदिल्लीसियासत

Kanjhawala Case: कंझावला केस में आरोपियों को मिलेगी फांसी?

सुल्तानपुरी के कंझावला में नए साल की पूर्व संध्या पर एक युवती को कार सवार पांच लोगो ने 13 किलोमीटर तक घसीटा। जिसके कारण युवती की मौके पर ही मौत हो गयी थी।

दिल्ली का कंझावला केस इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। साथ ही अब यह सियासी रूप भी लेता नजर आ रहा है। बता दें कि सुल्तानपुरी के कंझावला में नए साल की पूर्व संध्या पर एक युवती को कार सवार पांच लोगो ने 13 किलोमीटर तक घसीटा। जिसके कारण युवती की मौके पर ही मौत हो गयी थी। जिसके बाद घटना को अंजाम देने वाले पांचों आरोपियों को पुलिस ने पकड़ लिया है।

दिल्ली पुलिस ने मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई का भरोसा भी दिलाया है तो वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोपियों के खिलाफ फांसी की सजा की मांग कर दी। वहीं देखते ही देखते वी के सक्सेना ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए आरोपियों के खिलाफ फांसी की सजा की मांग की। सके बाद मामले ने और तूल पकड़ा और फिर जन आक्रोश ने भी एक साथ आरोपियों के खिलाफ फांसी की सजा की मांग की।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या इस केस में आरोपियों को फांसी की सजा मिल सकती है? अगर हां तो कैसे? कानून क्या कहता है? जिन धाराओं में केस दर्ज हुआ है, उसके अनुसार आरोपियों को कितनी सजा मिल सकती है? आइए इसे समझते हैं…

इन धाराओं में पुलिस ने दर्ज किया केस?

बता दें दिल्ली पुलिस ने पांचों आरोपियों के खिलाफ धारा 279, 304, 304ए, 120बी के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बताया है कि प्रारंभिक जांच के बाद अगर कुछ और तथ्य सामने आते हैं तो उसके अनुसार एफआईआर में धाराएं जोड़ दी जाएंगी।

इन धाराओं में कितनी सजा मिल सकती है?

IPC की धारा 279: सार्वजनिक जगह पर जानकर या असावधानी से असुरक्षित वाहन चलाकर दूसरों का जीवन खतरे में डालना या घायल करने के कृत्य इस धारा में आते है। अपराध साबित होने पर अधिकतम तीन महीने की सजा और एक हजार रुपए तक जुर्माना या दोनों सजा एक साथ का प्रावधान है।

IPC की धारा 304: आईपीसी की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का मुकदमा चलता है। इस मामले में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो अपराध की गंभीरता के आधार पर आजीवन कारावास और जुर्माना या कठोर कारावास की सजा हो सकती है। हत्या के सभी अपराध गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आते हैं। गैर इरादतन हत्या का दायरा व्यापक होता है और सभी गैर इरादतन हत्याएं, हत्या नहीं होती हैं। गैर इरादतन हत्या वह कार्य है जिसमें किसी व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य मृत्यु या शारीरिक चोट का कारण बनता है, जो बिना सोचे- समझे, अनियोजित (अनप्लेंड) संघर्ष में, या किसी के उकसावे के परिणामस्वरूप अनियोजित क्रोध में मृत्यु का कारण बनते है।

IPC की धारा 304 ए : कोई उतावलेपन में या उपेक्षापूर्ण तरीके से किए किसी ऐसे कार्य से किसी व्यक्ति की हत्या करना, जो आपराधिक मानववध की कोटि में नहीं आता। ऐसे मामलों में दो साल तक की जेल, या जुर्माना, या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। ये जमानती धाराएं हैं और मजिस्ट्रेट इस मामले की सुनवाई कर सकते हैं।

IPC की धारा 120 बी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आईपीसी की धारा 120बी के तहत आपराधिक साजिश के साथ अपराध करने के लिए समझौते की किसी प्रकार की भौतिक अभिव्यक्ति होनी चाहिए। आम तौर पर, इसमें मामूली आपराधिक घटनाओं को शामिल किया जाता है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि यह उन अपराधों की साजिश को कवर करता है जिसमें दो साल से कम कारावास की सजा है। इस प्रकार, धारा नाममात्र की सजा यानि 6 महीने से अधिक की अवधि के लिए कारावास नहीं लगाती है।

तो क्या फांसी की सजा हो सकती है?

इसे समझने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय से बात की। उन्होंने कहा, ‘ये घटना बेहद चिंताजनक है। देश की राजधानी में एक युवती के साथ इतनी दर्दनाक घटना होना हर किसी को डराने वाली है। अभी इस मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट आना बाकी है। इसके बाद काफी हद तक स्थिति साफ हो जाएगी। अभी तक जो मालूम चल रहा है वो ये है कि मामला ड्रंक एंड ड्राइव का है। शराब के नशे में आरोपी गाड़ी चला रहे थे और इसी दौरान ये घटना हुई है। पुलिस ने जो धाराएं लगाईं हैं, उनके अनुसार अगर दोष साबित होता है तो आरोपियों को अधिकतम आजीवन कारावास, कठोर कारावास की सजा मिल सकती है। मतलब फांसी की सजा मिलने की गुंजाइश नहीं है।’

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button