
जोशीमठ (Joshimath) जहां लगातार भू-धंसाव की खबरें आ रही है। बता दें मामले में एक और ताजा मामला भू-धंसाव का आ रहा है। जिसको देखते हुए भू-धंसाव की निगरानी अब पीएमओ कर रही है। बता दें अब तक भू-धंसाव ने अब सभी वार्डों को चपेट में ले लिया है। वहीं ज्वाइंट मजिस्ट्रेट दीपक सैनी ने बताया कि पीएमओ की ओर से लगातार मामले में अपडेट लिया जा रहा है। लोगों को यहां किसी तरह की परेशानी न हो इसका भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक अब तक जोशीमठ से 77 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका है। वहीं राज्य सरकार पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है। बताते चले कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर बृहस्पतिवार यानी आज एक विशेषज्ञों का दल जोशीमठ रवाना हो चुका है।
एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं पर अपनी तीसरी रिपोर्ट जारी की है। उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस की रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ में 500 घर रहने के लायक नहीं हैं। जिसको लेकर रिपोर्ट में जोशीमठ में लगातार हो रहे भूधंसाव को लेकर चिंता जताई गई है।
वहीं स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने स्थिति से निपटने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है, जिसके कारण उन्हें 24 दिसंबर को सड़कों पर उतरना पड़ा। इस दिन शहर की करीब आठ सौ दुकानें विरोध स्वरूप बंद रहीं। जोशीमठ धंसाव के कारणों का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है। इसके अलावा राज्य में दिसंबर 2022 में कोई बड़ी आपदा या दुर्घटना नहीं हुई है।
विशेषज्ञ दलों की टीम लेगी हिस्सा
जोशीमठ जाने वाले विशेषज्ञ दल में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से डॉ. पीयूष रौतेला, उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) से डॉ. शांतनु सरकार, आईआईटी रुड़की से प्रो. बीके महेश्वरी, जीएसआई से मनोज कास्था, डब्ल्यूआईएचजी से डॉ. स्वपना मित्रा चौधरी और एनआईएच रुड़की से डॉ. गोपाल कृष्णा को शामिल किया गया है। इससे पहले विशेषज्ञों का यह दल 16 से 20 अगस्त 2022 के बीच जोशीमठ को दौरा कर पहली रिपोर्ट सरकार को सौंप चुका है। यह टीम अगले कुछ दिन जोशीमठ में ही रहकर सर्वेक्षण का कार्य करेगी। इस दौरान दीर्घकालिक और तात्कालिक उपायों के संबंध में टीम सरकार को रिपोर्ट देगी