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Congress Election-2022 : खड़गे-थरूर की किस्मत बैलेट बॉक्स में बंद, 19 को आएंगे नतीजे

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए देश में एक साथ वोटिंग खत्म, अध्यक्ष पद के लिए सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, राहुल गांधी और अशोक गहलोत समेत कई दिग्गज नेताओं ने मतदान किया। 19 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष का फैसला होगा।

नई दिल्ली।   काफी समय से बुरे दौरे से गुजर रही कांग्रेस के लिए 17 अक्टूबर का दिन कई मायनों में ऐतिहासिक है। पार्टी में 22 साल बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कि प्रक्रिया संपन्न हुई (Congress Election-2022) और 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभालेगा। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह दिल्ली में पार्टी ऑफिस में वोट डाला।

वहीं भारत जोड़ो यात्रा की अगुवाई कर रहे राहुल गांधी ने कर्नाटक के बेल्लारी में मतदान किया। कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए छठवीं बार चुनावी मुकाबला हुआ। एक तरफ मल्लिकार्जुन खड़गे तो वहीं दूसरी तरफ तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर के बीच अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला है।19 अक्टूबर को वोटों की गिनती के साथ ही कांग्रेस के नए अध्यक्ष का ऐलान हो जाएगा। चुनाव में प्रदेश कांग्रेस समितियों के 9000 से अधिक प्रतिनिधियों को वोट बैलेट बॉक्स में बंद हो गया है।

देशभर के 65 से ज्यादा केंद्रो पर वोटिंग

दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय और देशभर के 65 से ज्यादा केंद्रो पर वोटिंग हुई (Congress Election-2022) मल्लिकार्जुन खड़गे के बारे में माना जाता है कि गांधी परिवार के करीबी होने के कारण अध्यक्ष पद के चुनाव में उनको इसका फायदा मिल सकता है। वहीं शशि थरूर को जी-23 गुट का नेता माना जा रहा था, लेकिन चुनाव अभियान में उनके पुराने साथी भी उनसे किनारा करते दिखे। वहीं थरूर पार्टी में बदलाव के लिए मजबूत प्रत्य़ाशी के तौर पर खुद को पेश कर रहे हैं।

137 साल के इतिहास में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए छठी बार वोटिंग शुरू, 65 से अधिक मतदान केंद्र, खड़गे और थरूर में मुकाबला - Loksaakshya

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 2000 में हुआ था 

इससे पहले 2000 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था। उस समय चुनावी मैदान में एक तरफ सोनिया गांधी थी। तो दूसरी तरफ जितेन्द्र प्रसाद थे। दोनों के बीच मुकाबले में सोनिया गांधी को प्रचंड जीत मिली थी। लेकिन इस बार के चुनाव में गांधी परिवार ने खुद को चुनावी दौर से बाहर रखने का फैसला किया था। किसी भी प्रत्याशी के पक्ष में गांधी परिवार से किसी ने कोई प्रचार नहीं किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री ने पूरे चुनावी अभियान की कमान संभाली।

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