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Bilkis Bano Case : दोषियों की रिहाई के खिलाफ बिलकिस बानो ने खटखटाया SC का दरवाजा

बिलकिस ने शीर्ष अदालत के मई में दिए उस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की है, जिसमें दोषियों की रिहाई का फैसला गुजरात सरकार पर छोड़ा था

  • बिलकिस बानो ने खटखटाया SC का दरवाजा
  • दोषियों की रिहाई को लेकर रिव्यू पिटीशन
  • गैंगरेप-हत्या मामले में थी उम्र कैद की सजा
  • माफी नीति के तहत सरकार ने दी रिहाई

दिल्ली। बिलकिस बानो ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दोषियों की समय से पहले रिहाई को लेकर बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की है। बिलकिस ने शीर्ष अदालत के मई में दिए उस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की है, जिसमें दोषियों की रिहाई का फैसला गुजरात सरकार पर छोड़ा था। फिर गुजरात सरकार ने दोषियों को रिहा कर दिया था।

पीड़िता बिलकिस ने सभी को फिर से जेल भेजने की मांग की है। बिलकिस की ओर से कहा गया है कि इस मामले में रिहाई की नीति गुजरात की नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की लागू होनी चाहिए, क्योंकि महाराष्ट्र में ही यह मामला सुना गया और सजा भी यहीं सुनाई गई थी।

बता दें कि गुजरात सरकार की ओर से सजा माफी नीति के तहत सभी 11 दोषियों की रिहाई की इजाजत दे दी गई थी, जिसके बाद दोषियों को इस साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था। इन दोषियों ने जेल में 15 साल से अधिक समय बिताया। मुंबई की एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को सभी 11 दोषियों को गैंगरेप और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई थी।इस फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।

गौरतलब है कि गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था, उस वक्त वह 21 वर्ष की थीं और वह पांच महीने की गर्भवती थीं। परिवार के मारे गए सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी।

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