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अजीत डोभाल… ऐसे ही नहीं कांपता है पड़ोसी देश

अजित डोभाल...ये नाम तो आपने सुना ही होगा। बता दें 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी डोभाल ने बतौर अंडर कवर एजेंट दुश्मन देश पाकिस्तान के नाक में दम कर दिया था।

अजित डोभाल…ये नाम तो आपने सुना ही होगा। वहीं ये नाम हमारे दुश्मनों के लिए काफी भी है। बता दें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दुश्मन देशों के लिए किसी डरावने सपने से कम नहीं हैं। बता दें 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल ने बतौर अंडर कवर एजेंट दुश्मन देश पाकिस्तान के नाक में दम कर दिया था। लद्दाख में सीमा विवाद हो, या पाकिस्तान को सबक सिखाना। कश्मीर के विवाद को प्यार से सुलझाना हो या फिर दिल्ली दंगों में जख्मों पर मरहम लगाना, अजित डोभाल हर काम में माहिर हैं। वहीं आज यानी 20 जनवरी को अजित डोवल 78 साल के हो गये है। ऐसे में हम आज उनके जन्मदिन पर उनकी जिंदगी की 3 रोचक किस्सों से रूबरू करवाते हैं।

1). साल 1986: अजीत डोभाल का ऑपरेशन उग्रवादी

वर्ष 1986 की बात है, जब इंटेलिजेंस ब्यूरो में रहते हुए अजित डोभाल ने पूर्वोत्तर में उग्रवादियों के खिलाफ अभियान चलाया था। इस दौरान उन्होंने एक अंडरकवर एजेंट बनकर कई उग्रवादी समूहों को देश के पक्ष में कर लिया था। इसका असर ये देखा गया कि बाकी उग्रवादियों को भी भारत के साथ समझौता करना पड़ा था।

2). साल 1988: अजीत डोभाल का आपरेशन ब्लैक थंडर

ये वही ऑपरेशन था जब अजित डोवल एक रिक्शा चालक बनकर मंदिर में एंट्री लेते हैं और आतंकियों की एक-एक मूवमेंट को नोट करते हैं। साल 1988 की बात है, जब अजित डोभाल ने ‘आपरेशन ब्लैक थंडर’ की अगुवाई की थी।

पंजाब के अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से आतंकियों को निकालने के लिए ऑपरेशन चलाया गया, जिसमें डोभाल लीड रोल में रहे। रिक्शा चालक बनकर डोवल ने मंदिर में एन्ट्री की और आतंकियों की पूरी जानकारी जुटाई। डोभाल ने पंजाब पुलिस, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और खुफिया ब्यूरो के साथ मिलकर ऑपरेशन को अंजाम दिया था।

3). जून 2015: अजीत डोभाल का ऑपरेशन म्यांमार

मणिपुर के चंदेल में उग्रवादियों ने घात लगाकर सेना पर हमला किया। जिसमें देश के 18 जवान शहीद हो गए। तब प्रधानमंत्री मोदी ने NSA डोभाल को जवाबी हमले की कमान सौंपी। उस वक्त अजित डोभाल बांग्लादेश के दौरे पर जाने वाले थे, हालांकि इस हमले के बाद उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया और पांच दिन में ‘ऑपरेशन म्यांमार’ तैयार किया।

10 जून, 2015 को भारत की सेना ने म्यांमार सीमा में दो किलोमीटर अंदर घुसकर उग्रवादियों के कैंपों को नेस्तनाबूत कर दिया। ये अजित डोभाल की शानदार रणनीति का परिणाम था।

पाकिस्तान में अजित डोभाल के नाम का खौफ

डोवल पाकिस्तान के लिए एक ऐसा नाम है जो उसकी सबसे बड़ी मुसीबत है। वैसे डोभाल की दहाड़ पाकिस्तान को पहले भी डराती आई है। अजित डोभाल का मानना है कि ‘जब तक हम नहीं जीतेंगे लड़ाई समाप्त नहीं होगी।’

देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अपने एक बयान में कहा था कि ‘पाकिस्तान ये सोचता है कि उसमें ये विल पावर है, कि वो कहेगा कि हम सेल्फ डिस्ट्रक्शन मोड में हैं। हम तो हैं ही फिदायीन.. तो हमारा पूरा देश फिदायीन हो जाएगा। हम तो न्यूक्लियर वॉर के लिए तैयार हैं। अगर इंडिया कंवेंशनल वॉर या इससे बाहर से हमें रिटैलिएट करता है। अगर हिंदुस्तान ये मन बना ले कि ये भी एक ब्लफ है।पाकिस्तान किसी भी न्यूक्लियर वॉर के बाद राष्ट्र नहीं रहेगा। भारत फिर भी रहेगा। अगर कुछ नुकसान हुआ भी तो फिर भी इतने बचेंगे कि वो फिर से दुनिया के अंदर अपनी पहचान बना सकते हैं। एक बार दिल बनाने की बात हैस नेपोलियन कहा करता था कि लड़ाई में एक ही मरता है।’

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